( बिलकुल नया, हँसते रह जाएंगे )
😀😁😀😁😀😁😀
गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।
नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,
एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।
अचानक…..,
हाथ से पेन फिसला और डुबुक ….
पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान ।
आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था ।
कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते ,
पानी में उतरने का प्रयास करते ,
फिर डर कर कदम खींच लेते ।
एकदम नया पेन था ,
छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।
अचानक…….
पानी में एक तेज लहर उठी ,
और साक्षात् वरुण देव सामने थे ।
गुरूजी हक्के -बक्के ।
कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई ।
वरुण देव ने कहा , ”गुरूजी, क्यूँ इतने परेशान हैं ।
प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ?
गुरूजी अचकचाकर बोले , ” प्रभु ! आज ही सुबह
एक पेन खरीदा था ।
पूरे पांच रूपये का ।
देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है ।
यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया
प्रभु बोले , ” बस इतनी सी बात ! अभी निकाल
लाता हूँ ।”
प्रभु ने डुबकी लगाई ,
और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए ।
बोले – ये है आपका पेन ?
गुरूजी बोले – ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये
चांदी का पेन नसीब । ये मेरा नाहीं ।
प्रभु बोले – कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ
डुबुक …..
इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये।
बोले – “लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।”
गुरूजी बोले – ” क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।
इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ ।
थके हारे प्रभु ने कहा , ” चिंता ना करो गुरुदेव ।
अबके फाइनल डुबकी होगी ।
डुबुक ….
बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये ।
हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर ।
बोले – ये है क्या ?
गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है , यही है ।
प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत
लिया गुरूजी ।
आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो ।
गुरूजी ख़ुशी – ख़ुशी घर को चले ।
.
.
कहानी अभी बाकी है दोस्तों —
गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई
चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।
पत्नी को विश्वास ना हुवा ,
बोली तुम किसी का चुरा कर लाये हो ।
बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी
तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले ।
दोनों उस पत्थर पर बैठे ,
गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे – कैसे सब हुवा
पत्नी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि
अचानक …….
डुबुक !!!
पत्नी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई ।
गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे ।
ये क्या हुवा !
जोर -जोर से रोने लगे ।
तभी अचानक ……
पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।
नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट
हुवे ।
बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ?
गुरूजी ने रोते हु story प्रभु को सुनाई ।
प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो ।
मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।
प्रभु ने डुबकी लगाईं ,
और …..
..
थोड़ी देर में
वो कैटरीना को लेकर प्रकट हुवे ।
बोले –गुरूजी ।
क्या यही आपकी पत्नी जी है ??
गुरूजी ने एक क्षण सोचा ,
और चिल्लाए –
हाँ यही है , यही है ।
अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी ।
बोले – दुष्ट मास्टर ।
ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।
गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु ।
मेरी कोई गलती नहीं ।
अगर मैं इसे मना करता तो आप
अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लाते ।
मैं फिर भी मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते ।
फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते ।
अब आप ही बताओ भगवन ,
इस महंगाई के जमाने में
7th pay Commission ने भी रुला दिया
अब मैं तीन – तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।इन तीन तीन गृहलक्ष्मियों का बोझ प्रभू मुझसे नहीं उठेगा।
क्षमा करे प्रभू।
इसलिये सोचा ,
कैटरीना से ही काम चला लूँगा ।
प्रभु बेहोश होकर पानी में गिर गए थे ।
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गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।
नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,
एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।
अचानक…..,
हाथ से पेन फिसला और डुबुक ….
पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान ।
आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था ।
कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते ,
पानी में उतरने का प्रयास करते ,
फिर डर कर कदम खींच लेते ।
एकदम नया पेन था ,
छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।
अचानक…….
पानी में एक तेज लहर उठी ,
और साक्षात् वरुण देव सामने थे ।
गुरूजी हक्के -बक्के ।
कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई ।
वरुण देव ने कहा , ”गुरूजी, क्यूँ इतने परेशान हैं ।
प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ?
गुरूजी अचकचाकर बोले , ” प्रभु ! आज ही सुबह
एक पेन खरीदा था ।
पूरे पांच रूपये का ।
देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है ।
यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया
प्रभु बोले , ” बस इतनी सी बात ! अभी निकाल
लाता हूँ ।”
प्रभु ने डुबकी लगाई ,
और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए ।
बोले – ये है आपका पेन ?
गुरूजी बोले – ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये
चांदी का पेन नसीब । ये मेरा नाहीं ।
प्रभु बोले – कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ
डुबुक …..
इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये।
बोले – “लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।”
गुरूजी बोले – ” क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।
इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ ।
थके हारे प्रभु ने कहा , ” चिंता ना करो गुरुदेव ।
अबके फाइनल डुबकी होगी ।
डुबुक ….
बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये ।
हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर ।
बोले – ये है क्या ?
गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है , यही है ।
प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत
लिया गुरूजी ।
आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो ।
गुरूजी ख़ुशी – ख़ुशी घर को चले ।
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कहानी अभी बाकी है दोस्तों —
गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई
चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।
पत्नी को विश्वास ना हुवा ,
बोली तुम किसी का चुरा कर लाये हो ।
बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी
तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले ।
दोनों उस पत्थर पर बैठे ,
गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे – कैसे सब हुवा
पत्नी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि
अचानक …….
डुबुक !!!
पत्नी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई ।
गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे ।
ये क्या हुवा !
जोर -जोर से रोने लगे ।
तभी अचानक ……
पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।
नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट
हुवे ।
बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ?
गुरूजी ने रोते हु story प्रभु को सुनाई ।
प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो ।
मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।
प्रभु ने डुबकी लगाईं ,
और …..
..
थोड़ी देर में
वो कैटरीना को लेकर प्रकट हुवे ।
बोले –गुरूजी ।
क्या यही आपकी पत्नी जी है ??
गुरूजी ने एक क्षण सोचा ,
और चिल्लाए –
हाँ यही है , यही है ।
अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी ।
बोले – दुष्ट मास्टर ।
ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।
गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु ।
मेरी कोई गलती नहीं ।
अगर मैं इसे मना करता तो आप
अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लाते ।
मैं फिर भी मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते ।
फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते ।
अब आप ही बताओ भगवन ,
इस महंगाई के जमाने में
7th pay Commission ने भी रुला दिया
अब मैं तीन – तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।इन तीन तीन गृहलक्ष्मियों का बोझ प्रभू मुझसे नहीं उठेगा।
क्षमा करे प्रभू।
इसलिये सोचा ,
कैटरीना से ही काम चला लूँगा ।
प्रभु बेहोश होकर पानी में गिर गए थे ।
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